सोलन जिले के प्रगतिशील किसान अब अपने गांव के किसानों को आधुनिक खेती के गुर सिखा रहे हैं। किसान अपने अनुभव साझा कर रहे हैं कि कैसे उन्होंने पारंपरिक खेती से हटकर नई तकनीकों को अपनाकर अच्छी आय अर्जित की। आज ये किसान फार्म स्कूलों के माध्यम से अन्य किसानों को भी इसी राह पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं। यह कार्य कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के अंतर्गत किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत सोलन जिले के हर ब्लॉक में एक-एक फार्म स्कूल संचालित हो रहा है।
इन फार्म स्कूलों में गांव के 25-25 किसान शामिल किए जाते हैं। फसल की बुआई से लेकर कटाई तक, इन किसानों को खेत पर ही प्रशिक्षण दिया जाता है। 1 हेक्टेयर भूमि पर फसल प्रदर्शन फार्म तैयार किया जाता है। पूरे सीजन में 6 विशेष चर्चा दिवस आयोजित होते हैं, जिनमें किसान अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हैं और समाधान प्राप्त करते हैं। सबसे खास बात यह है कि इन स्कूलों में प्रगतिशील किसान स्वयं शिक्षक की भूमिका निभाते हैं, जिससे किसानों के बीच भरोसा और सीखने की रुचि और अधिक बढ़ जाती है।
सोलन जिले में इस परियोजना के तहत कई प्रकार की फसलों पर फार्म स्कूल चल रहे हैं। देवली गांव (सोलन विकास खंड) में मटर की फसल, दंधील-घडींचा गांव (कंडाघाट) में ब्रोकली, शील गांव (धर्मपुर) में शिमला मिर्च, काटल गांव (नालागढ़) में जमीकंद और बनोह (कुनिहार) में मछली पालन पर फार्म स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। फार्म स्कूलों के माध्यम से किसानों को कृषि, बागवानी, पशुपालन, मधुमक्खी पालन और मछली पालन से जुड़ी नई जानकारी दी जाती है।
आत्मा परियोजना के सहायक निदेशक डॉ. राजेश कौशिक के अनुसार, सोलन जिले के 5 ब्लॉकों में फार्म स्कूल चलाए जा रहे हैं। इन स्कूलों में फार्मर टू फार्मर मॉडल के तहत तकनीक का हस्तांतरण किया जाता है, जहां प्रगतिशील किसान खुद आधुनिक कृषि तकनीकों को सिखाते हैं। एक फार्म स्कूल पर लगभग ₹29,000 खर्च किया जाता है।
किसानों को इन स्कूलों से बहुत लाभ मिल रहा है। नालागढ़ के काटल गांव में जमीकंद पर चलाए गए फार्म स्कूल से कई किसानों ने बेहतर उत्पादन और उन्नत तकनीकों को अपनाया है। इससे उनकी आमदनी में भी सकारात्मक सुधार हुआ है।
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