भारत के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है! भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने दो नई धान की किस्में विकसित की हैं — डीबीआरआर धान 100 (कर्णल) और पूसा डीबीआरआर धान। ये दोनों किस्में जीनोम संपादित (Genome Edited) हैं, जो विश्व स्तर पर एक अभूतपूर्व उपलब्धि मानी जा रही है।
क्या है खास इन किस्मों में?
ये धान किस्में बीआईआरवी 5204 के बेस पर बनाई गई हैं, जो ऊंचा उत्पादन देती हैं, जल्दी पकती हैं और रोगों के प्रति अधिक सहनशील हैं।
अनुमान है कि इन किस्मों से देश में 45 लाख टन अतिरिक्त धान का उत्पादन होगा।
किसानों को कम सिंचाई, कम रासायनिक उपयोग, और बेहतर उपज का लाभ मिलेगा।
पर्यावरण और आर्थिक फायदा
इन किस्मों के ज़रिये ना सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मदद मिलेगी।भारत जैसे देश, जहां कृषि मुख्य आजीविका है, वहां ऐसे वैज्ञानिक नवाचार हरित क्रांति 2.0 की ओर कदम हैं।
कहाँ पर होंगे ये किस्में शुरू?
इनकी खेती की शुरुआत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ राइस रिसर्च, हैदराबाद और नई दिल्ली स्थित केंद्रों से होगी। इसके साथ ही ये किस्में 50 लाख हेक्टेयर भूमि पर चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएंगी।
लक्ष्य क्या है?
भारत में चावल का आयात कम करना, अधिक उत्पादन के जरिए दालों और तिलहन की खेती के लिए भूमि मुक्त करना, और किसानों की आमदनी को बढ़ाना।
“धान क्रांति” सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं, यह एक विचार है — आत्मनिर्भर किसान, समृद्ध भारत।
यह वैज्ञानिक पहल देश को भोजन सुरक्षा, कृषि नवाचार, और पर्यावरणीय संतुलन की ओर आगे बढ़ाएगी।
अब वक्त है डिजिटल क्रांति से जुड़ने का! Agridoot के साथ जुड़ें और बनें इस ‘धान क्रांति’ का हिस्सा — स्मार्ट खेती का सफर यहीं से शुरू होता है।