भारत की सबसे अमीर महिला किसान और प्राकृतिक खेती की चैंपियन
राजकोट, गुजरात की नितुबेन पटेल, जिन्हें निताबेन कर्णाणी के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय कृषि में एक नई क्रांति का नेतृत्व किया है। बीस साल पहले उन्होंने एक सामान्य किसान के रूप में अपने सफर की शुरुआत की थी, लेकिन आज वे प्राकृतिक खेती, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास की एक प्रमुख आवाज बन चुकी हैं। मिट्टी, जल, वनस्पति, पशु और प्रकृति के साथ संतुलन की उनकी गहरी समझ ने उन्हें पारंपरिक खेती से अलग सोचने की प्रेरणा दी। उनके गुरु दिवंगत श्री दीपकभाई सचदे से मिली शिक्षाओं ने उन्हें सिखाया कि “मिट्टी को सुनना” ही सच्ची खेती है।
नितुबेन की खेती की विधियाँ केवल उपज उगाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे मिट्टी की सेहत सुधारने और पूरी प्राकृतिक प्रणाली को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित हैं। उनकी “अमृत कृषि’ और ‘मैजिकल मिट्टी” तकनीकों ने जैविक कचरे को पोषण में बदलकर खेतों की उपजाऊ शक्ति को स्थायी रूप से बढ़ाया। उनके फार्म पर मेडिसिनल प्लांट्स, बायोचार उत्पादन, ESG प्रोजेक्ट्स, झील पुनरुद्धार और कार्बन क्रेडिट जैसे कई नवाचार होते हैं। उन्होंने एक ऐसा स्वायत्त फार्म मॉडल तैयार किया है जो बिना मानवीय हस्तक्षेप के दो दशकों तक चल सकता है।
उन्होंने Sajeevan Life Pvt Ltd की स्थापना की, जो प्राकृतिक खेती और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्यरत एक नॉन-प्रॉफिट संस्था है। उनके नेतृत्व में सिर्फ 45 दिनों में 84 FPOS का पंजीकरण हुआ यह भारत के कृषि इतिहास में एक मिसाल है। गुजरात के डांग ज़िले के 13,500 किसानों को जैविक प्रमाणन दिलाया गया, और यह जिला अब पूरी तरह जैविक बन चुका है। उन्होंने गुजरात सरकार के साथ मिलकर Internal Cluster System (ICS) की स्थापना की, जिससे जैविक प्रमाणन प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाया गया।
नितुबेन ने “फार्म टू प्लेट” मॉडल भी तैयार किया है, जिसमें किसान सीधे उपभोक्ताओं तक अपनी उपज बेच सकते हैं। इससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त होती है और किसानों को बेहतर मूल्य मिलता है। उनके फार्म से निकलने वाले सरसों तेल, खापली गेहूं और धी जैसे उत्पाद अब ऑनलाइन भी बिकते हैं। जल्द ही वे ताजे फल, सब्जियाँ और डेयरी उत्पादों की क्विक कॉमर्स सेवा भी शुरू करने जा रही हैं, जिससे शहरी उपभोक्ताओं को असली जैविक उत्पाद सीधे घर तक मिल सकेंगे।
सफलता मिलने के बावजूद नितुबेन खुद को हमेशा एक किसान के दिल वाली अग्रिप्रेन्योर मानती हैं। वे मंचों और पुरस्कारों की बजाय, जमीनी स्तर पर काम करना पसंद करती हैं। उनका मानना है कि अगर हम प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें, तो ना केवल पर्यावरण बल्कि किसान की आमदनी भी सुरक्षित होगी। हाल ही में उन्होंने Global Farmer Business Network (GFBN) से जुड़कर, देश भर के युवा किसानों को मेंटरशिप देना शुरू किया है। उनका सपना है कि हर राज्य में महिला किसानों की एक मजबूत टोली तैयार हो, जो जैविक उत्पादों की एक अखिल भारतीय सप्लाई चेन तैयार करे।
नितुबेन की कहानी यह साबित करती है कि खेती सिर्फ जीविका नहीं, बल्कि प्रकृति, समाज और आने वाली पीढ़ियों की सेवा है। उनका जीवन दिखाता है कि जब इरादे नेक हों और सोच रचनात्मक हो, तो किसान भी समाज का सबसे बड़ा परिवर्तनकर्ता बन सकता है। जैसा कि वे कहती हैं “अगर हम मिट्टी का ध्यान रखें, तो मिट्टी सबका ध्यान रखेगी।”
अंत में, AgriDoot के सभी किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए यह एक उदाहरण है कि कैसे GIS, GYAN AI, और IoT जैसी स्मार्ट टेक्नोलॉजी के साथ हम भी अपने क्षेत्र में ‘नितुबेन’ बन सकते हैं।
सौजन्य से: Krishi Jagran
ChatGPT said:
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