काली हल्दी की खेती से बढ़ाएँ आय – सागर के किसान की प्रेरक कहानी

खेती में नई सोच और फसल विविधता ही आज के स्मार्ट किसान की पहचान है। सागर जिले के टेहरा-टेहरी गाँव के प्रगतिशील किसान श्री राघु राम पटेल ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया। उन्होंने परंपरागत खेती से हटकर काली हल्दी (Black Turmeric) की खेती की और इस फसल से शानदार मुनाफ़ा कमाकर दूसरों के लिए मिसाल बन गए।

वर्ष 2022 में भोपाल कृषि मेले से प्रेरणा लेकर उन्होंने 700 रु./किलो में काली हल्दी का बीज खरीदा और 165 नालियों में इसकी खेती शुरू की। काली हल्दी की विशेषता यह है कि इसमें औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिसकी बाजार में लगातार अच्छी मांग बनी रहती है।

पहले वर्ष में ही श्री पटेल ने बिहार के व्यापारी को 3500 रु./क्विंटल की दर से काली हल्दी बेची और बाद में स्थानीय व्यापारी को 2800 रु./क्विंटल दर से 1800 किलो उत्पाद बेचा। कुल मिलाकर उन्होंने इस फसल से 9.60 लाख रु. का उत्पादन किया, जिसमें 7.85 लाख रु. का शुद्ध मुनाफ़ा अर्जित किया। इस सफलता से प्रेरित होकर अब तक वे 50 से अधिक किसानों को काली हल्दी का बीज भी उपलब्ध करा चुके हैं और अन्य किसानों को इसके फायदे समझाकर उन्हें फसल विविधता की ओर प्रेरित कर रहे हैं।

काली हल्दी की खेती का एक बड़ा लाभ यह भी है कि इसमें कम पानी और कम लागत में बेहतर उत्पादन मिलता है। किसानों के लिए यह एक बेहद लाभकारी फसल साबित हो रही है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ जल-संसाधन सीमित हैं।

कृषकों के लिए सीखः

आज के समय में फसल विविधता अपनाना बहुत आवश्यक है। औषधीय फसलें जैसे काली हल्दी न केवल पारंपरिक फसलों के विकल्प के रूप में उभर रही हैं, बल्कि इनमें अधिक लाभ कमाने की भी अपार संभावनाएँ हैं। बाजार में इनकी मांग स्थायी और अच्छी बनी रहती है।

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कम खर्च, अधिक उत्पादन, बेहतर मुनाफ़ा यही है आज के स्मार्ट किसान की पहचान !

People working in a garden at sunset, highlighting the benefits of Black Turmeric farming in Sagar's inspiring story.