ब्लैक अंबर प्लमः सेब से महंगा बिक रहा नया फल – बागवानों का बदलता रुझान

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले की भट्ठाकुफर फल मंडी में इस बार एक नया ट्रेंड देखने को मिला है- पारंपरिक सेब की जगह अब ब्लैक अंबर प्लम (Black Amber Plum) ने बाजार में रिकॉर्ड तोड़ दाम हासिल किए हैं। जहां अर्ली वैरायटी के सेब 80 से 110 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं, वहीं प्लम 120 से 130 रुपये प्रति किलो तक बेचा गया है। यह पिछले साल के मुकाबले 20-30 रुपये अधिक है।

स्टोन फ्रूट्स (Plums, Peaches, Almonds आदि) की मांग देश के बड़े शहरों जैसे सूरत, मुंबई, अहमदाबाद और पुणे में तेज़ी से बढ़ रही है। पहले जहां इनकी शॉर्ट शेल्फ लाइफ के कारण बागवान इनकी खेती से कतराते थे, वहीं अब मौसम में बदलाव और ट्रांसपोर्टेशन सुविधाओं के बेहतर होने के चलते बागवान इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।

आढ़ती और विशेषज्ञों की मानें तो स्टोन फ्रूट की खेती की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन्हें कम चिलिंग ऑवर्स (300-500 घंटे) की जरूरत होती है, जबकि सेब को 800-1200 घंटे तक की आवश्यकता होती है। पिछले कुछ वर्षों से बर्फबारी में आई कमी ने सेब की पारंपरिक खेती को चुनौतीपूर्ण बना दिया है, जिससे पौधों के सूखने की दर बढ़ी है और उत्पादन घटा है।

Stone Fruit Growers Association के अध्यक्ष दीपक सिंघा का कहना है कि स्टोन फ्रूट की इनपुट कॉस्ट सेब के मुकाबले बेहद कम है। यही वजह है कि बागवान अब इसे एक टिकाऊ विकल्प मान रहे हैं। कोटखाई के बागवानों ने तो चेरी जैसी फसलों को अब हवाई मार्ग से भी सप्लाई करना शुरू कर दिया है।

बागवानों के लिए सीखः

अगर आप भी ऐसे क्षेत्र में हैं जहाँ सेब की पारंपरिक खेती जलवायु कारणों से संकट में है, तो स्टोन फ्रूट्स जैसे प्लम, आडू, बादाम आदि की ओर रुख करें। इनकी मांग लगातार बढ़ रही है, मेहनत कम है, और मुनाफा ज्यादा।

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Ripe black amber plums hanging on a tree, showcasing their rich color and abundance.